अनन्त चतुर्दशी : अनन्त सूत्र में 14 गांठ क्यों ?, व्रत का महत्व और पूजा की विधि

अनन्त चतुर्दशी : अनन्त सूत्र में 14 गांठ क्यों ?, व्रत का महत्व और पूजा की विधि

भगवान विष्णु की होती है पूजा

अनन्त चतुर्दशी या अनन्त चौदस भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान गणेशजी का विसर्जन भी किया जाता है।

पंडित मनोज भारद्वाज ने बताया कि चातुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर अनन्त रूप से शयन में रहते हैं। अनन्त भगवान ने ही वामन अवतार लिया, जिन्होंने दो पग में ही तीनों लोगों को नाप लिया था। इसके न तो आदि का पता है और न ही अनन्त का। इसीलिए ये अनन्त कहलाए।

व्रत का महत्व


अग्नि पुराण में अनन्त चतुर्दशी व्रत के महत्व का उल्लेख मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सब कुछ हार गए थे तो वे भगवान श्री कृष्ण के पास गए। उन्होंने श्री कृष्ण से इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता पूछा तो श्री कृष्ण ने पांडवों को सपरिवार अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी। धन-धान्य, संतान आदि की इच्छा पूर्ति में इस व्रत का विषेष महत्व है।

पूजा की विधि


– सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

– पूजा के स्थान पर कलश स्थापित करें, जिसे मां यमुना का रूप माना जाता है। इस कलश में अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनन्त की स्थापना करें। इसे शेषनाग का रूप माना जाता है।

– इसके बाद सूत या रेशम के धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनन्त सूत्र तैयार करें, जिसमें 14 गांठ लगानी चाहिएं। भगवान को पीले रंग के पुष्प अर्पित करें। मान्यता है कि भगवान ने 14 लोक बनाए थे, जिनमें सत्य, तप, जन, स्वर्ग, भुव, भू, अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल और पाताल आदि शामिल हैं। इन लोकों की रक्षा के लिए ही भगवान ने 14 अवतार लिए थे। यदि 14 वर्ष तक प्रतिवर्ष यह व्रत किया जाए तो विष्णुलोक प्राप्त होता है।

– अब भगवान विष्णु की मूर्ति/तस्वीर सामने रखकर अनन्त सूत्र को पास में रख दें और षोडशोपचार विधि से पूजा करते हुए इस मंत्र का जाम करें-

‘अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।’

– इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत के पाठ का भी विषेष महत्व है।

– इसके बाद महिलाएं अनन्त सूत्र को बांये और पुरुष दांये हाथ में बांध लें।

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