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राधा अष्टमी 14 को, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
मथुरा, वृंदावन और बरसाना में होता है भव्य आयोजन
जयपुर। श्री कृष्ण जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) के 15 दिन बाद भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी राधा अष्टमी के रूप में मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 14 सितम्बर 2021, मंगलवार को मनाया जाएगा। मथुरा, वृंदावन और बरसाना में कृष्ण जन्म अष्टमी की तरह राधा अष्टमी पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
पंडित मनोज भारद्वाज ने बताया कि इस दिन सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा और फिर मूल नक्षत्र आरंभ हो जाएगा। राधा अष्टमी पर इस बार विशेष आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है, जो कि शुभ है। राधा अष्टमी का व्रत और पूजा इसी योग में की जाएगी। शास्त्रों में राधा जी को मां लक्ष्मी का अवतार माना गया है। इसलिए इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा भी की जाती है। राधा अष्टमी का व्रत सभी कष्ट हरकर धन-धान्य प्रदान करने वाला होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं संतान सुख और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखती हैं।
पूजा की विधि
- प्रातः काल स्नान आदि से निवृत हो स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- इसके बाद पांच रंगों से मंडप सजाएं। मंडप के नीचे मंडल बनाकर उसके मध्य भाग में मिट्टी या तांबे के कलश की स्थापना करें।
- कलश पर तांबे का पात्र रखें, जिसके ऊपर राधा-कृष्ण की युगलमूर्ति को पश्चिमाभिमुख करके स्थापित करें।
- अब षोडशोपचार से पूजन करें। पूजा का समय मध्याह्न का होना चाहिए।
- इस दिन उपवास करें या एक समय भोजन करें और दूसरे दिन सुहागिन स्त्रियों तथा ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
दोपहर में ही करें पूजा
नारद पुराण में कहा गया है कि राधा जी का पूजन दोपहर के समय करना शास्त्र सम्मत है। इस बार अष्टमी तिथि 13 सितम्बर दोपहर 3.10 बजे से शुरू होकर 14 सितम्बर की दोपहर 1.09 बजे तक रहेगी। उदया तिथि में अष्टमी 14 सितम्बर को है इसलिए इसी दिन राधा अष्टमी मनाया जाएगा।
भविष्य पुराण में बताया गया है-
भाद्र मासि सिते पक्षो अष्टमी या तिथिर्भवेत्।
अस्यां विनाद्धैअभिजिते नक्षत्रे चानुराधिके।।
(यानी भाद्र मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दोपहर के समय अभिजित मुहूर्त और अनुराधा नक्षत्र में राधाष्टमी का व्रत पूजन उत्तम होता है।)